कुरूद स्थित छिल्ला हजरत सैय्यद मीरा अली दातार रहमतुल्ला अलेह का सालाना उर्स धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर कव्वाली, लंगर समेत अन्य कई कार्यक्रम हुए। उर्सपाक में शामिल होने के लिए सैकड़ो जायरीन पहुँचे ।
हजरत सैय्यद मीरा अली दातार रहमतुल्ला अलेह के आस्ताने मुबारक के खादिम सय्यद हसन अली (बब्बू भाई ) ने बताया कि आस्ताने मुबारक में सुबह बाद नमाज फजर कुरान खानी हुई.. दोपहर में और शाम में जायरीनों के लिए लंगर का एहतमाम किया गया ...रात 9:00 बजे दरबार से बाजे गाजे के साथ शाही चादर निकाली गई ....यह चादर शहर के प्रमुख मार्गो से भ्रमण करते हुए करीब दो घण्टे के बाद वापस लौटी।....बेंड बाजे की धुन में थिरकते घोड़े विशेष आकर्षण के केंद्र बिंदु बने हुए थे। रात 10:00 बजे मनीभाई दुर्ग वाले की कव्वाली का प्रोग्राम हुआ।उन्होंने अपनी दिलकश आवाज़ में दातार की शान में एक से बढ़कर एक कलाम पेश किये। .....सुबह फजर के वक़्त कुल की फातिहा हुई।चादर पोशी के बाद सलातो सलाम पेश किया गया,फातिया हुई ।इस मौके पर देश मे अमन चैन और खुशहाली के लिए दुआ मांगी गई।शुक्रवार को सुबह हज़रत बाबा मासूम अली के आस्ताने में चादर पेश की गई।
ईनतेज़ामिया कमेटी ने स्थानीय प्रशासन औऱ पुलिस प्रशासन का उनके सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया है।उर्सपाक को सफल बनाने में मोहम्मद वकील अशरफी,सैय्यद हसन अली,मुस्ताक खोकर,जमाल रिज़वी,मोहम्मद यूसुफ भाई,फिरोज खान,गुलाम कादिर ,संतोष,आदि का योगदान सराहनीय रहा।
* साम्प्रदायिक सद्भावना का केंद्र-
. उलेखनीय हैं कि छिला सैय्यद मीरा अली दातार का यह दरबार साम्प्रदायिक सदभावना का सबसे बड़ा केंद्र बिंदु हैं।यहाँ सभी वर्ग के लोग अपने अकीदत के फूल चढ़ाने आते है। मध्य प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान, महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों से भी जायरीन उर्सपाक में हिस्सा लेने के लिए आते हैं ....यहां सच्चे दिल से मांगी गई हर नेक दुआएं कबूल होती है ... छिला सैय्यद मीरा अली दातार की कीर्ति दूर -दूर तक फैली हुई है .यहां आसुरी शक्तियों का बाबा की दुआ से नाश होता है.... बाबा का करम सभी पर होता है.... उनकी रहमत के छींटे पड़ने से किस्मत संवर जाती है।