धमतरी : गौरतलब है कि छेरछेरा छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकपर्वों में से एक है। इस पर्व को शहर में बड़े ही धूम धाम से मनाया गया। कृषक परिवार इस मौके पर विशेष पूजा-अर्चना भी करते है । घरों के दरवाजे पर सुबह से आवाज सुनी जाती है... अरन बरन कोदो दरन, जभे देबे तभे टरन... छेरछेरा, माई कोठी के धान ले हेरते हेरा... दरअसल, इस दिन मोहल्लों में बच्चों और युवाओं की टोलियां सुबह से दान मांगने के लिए निकल पड़े। वैसे तो यह गांवों का त्योहार है, लेकिन शहर में भी इसकी रौनक देखने मिली। अब शहर में तो किसी के पास धान होता नहीं तो श्रद्धावश लोग रुपए-पैसे और खाने-पीने की दूसरी चीजें देकर दान करने की परंपरा निभाते हैं और त्योहार की खुशियां मनाते हैं। वही इस पर्व की बधाई देते हुए शहर के युवा कोमल संभाकार ने बताया की धान के कटोरे छत्तीसगढ़ का यह पर्व सामाजिक समरसता को प्रोत्साहित करता है, महादान और फसल उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला छेरछेरा पुन्नी तिहार हमारी दानशीलता की और समृद्ध गौरवशाली परम्परा का संवाहक है। मेल-मिलाप, दान और सदाशयता का पर्व छेरछेरा छत्तीसगढ़ की मूल प्रेम भावना का परिचय कराता है।