कैंसर जैसी भयानक बीमारी ना केवल व्यक्ति को शारीरिक अपितु मानसिक रूप से भी तोड़ देती है । कैंसर के निदान के बाद लोगों का जीवन के प्रति नजरिया ही बदल जाता है । उपचार के दौरान या बाद में भावनात्मक तनाव, अनिश्चितता, शारीरिक दर्द रोगी और उनके प्रियजनों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है। यह बातें जिला चिकित्सालय धमतरी की क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ.प्रीति चांडक ने कही है उन्होंने आगे कहा कि कैंसर निदान की विपरीत प्रतिक्रिया आमतौर पर तनाव डिप्रेशन या चिंता के रूप में सामने आती है । लक्षणों को अक्सर बीमारी से अलग करना मुश्किल हो जाता है और इसमें शामिल है जैसे उदास रहना, हमेशा डरे रहना या क्रोध की भावना, हेल्पलेस महसूस करना, दोस्तों और परिवार से दूर होना नींद ना आना।
इस समस्या के हल के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ख्याल रखा जाता है-
- सबसे पहले अपने लक्षणों के बारे में मेडिकल टीम से बातें करें वे कुछ मेंटल हेल्थ समस्याओं में मदद करने में सक्षम हो सकते हैं।
- अपने सपोर्ट सिस्टम पर वापस जाएं जैसे परिवार और दोस्त।
- कैंसर रोगियों और सर्वाइवर के ग्रुप में शामिल होकर अकेलेपन को दूर करने की कोशिश।
- वर्तमान में जीने के तरीके खोजे और भविष्य की ज्यादा चिंता ना करें।
- प्रार्थना और आध्यात्मिकता से खुद को जोड़ें।
-एक्सरसाइज और मेडिटेशन करें
- सोशल रखें।
- साथ ही केयरगिवर को चाहिए कि वह रोगी की भावनाओं को समझ कर उनका ख्याल रखें। उन्हें पर्याप्त समय दे उनकी बातों को सुने।