लघु धान्य फसलों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा लगतार कार्य किया जा रहा है, जिसका असर अब छत्तीसगढ़ के किसानों के खेतों में दिखायी देने लगा है। कुछ वर्षो पूर्व जहां किसान ज्यादातर मात्रा में धान की फसल लिया करते थे, किन्तु सरकार की किसान हितैषी योजनाआें से प्रभावित होकर अब अन्य फसलों की ओर भी रूख कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है जहां कोदो, कुटकी और रागी सहित अन्य मिलेट्स फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और इसके वैल्यू एडिशन का काम भी किया जा रहा है। किसानों को नकदी फसल लेने हेतु प्रोत्साहित करने संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस वर्ष मिलेट्स वर्ष घोषित किया गया है। जिसके परिणामस्वरूप किसानों के जीवन में बदलाव दिखायी देने लगा है और किसान आर्थिक समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहे हैं। प्रदेश में शुरू किए गए मिलेट मिशन का सार्थक परिणाम है कि अब किसान धान के बदले रागी, कोदो और कुटकी की फसल लेने लगे हैं। धमतरी जिले में लगभग 1 हजार 500 किसानों ने 1 हजार 200 हेक्टेयर में धान के बदले कोदो-कुटकी और रागी सहित अन्य फसल ली है।
शासन की इन योजनाओं से प्रभावित धमतरी जिले के ग्राम कलारबहार निवासी किसान सगनूराम नेताम ने पिछले कुछ वर्षों में धान के बदले रागी की बढ़त लेना शुरू की सगनूराम से बातचीत करने पर बताया कि पिछले वर्ष 1 एकड़ खेत में रागी की लगा रही थी, जिसमें बताया गया था कुल 7 क्विंटल रागी की शुरुआत हुई है। इस फसल से वह रागी के बीज तैयार करेंगे। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों उन्होंने बीज निगम में 25 हजार और बाजार में लगभग 17 हजार रुपये की रागी बिक्री की थी। इस प्रकार अगर सगनूराम धान की खेती करता है तो उसे 10 क्विंटल के होश से 25 हजार रुपये मिलते हैं, मिलिट्स की खेती से उसे लगभग 15-17 हजार रुपये प्रति एकड़ की अतिरिक्त आमदनी मिली। इसके लिए संबंधित विभाग द्वारा उसे मुफ्त बीज एवं वर्मी कम्पोस्ट खाद प्रदान किया गया था। सगनूराम ने रागी की विशेषताओं के बारे में बताया कि यह बहुत अधिक अनाज और पानी है। इस परिणाम के लिए जहां पानी और समय कम लगता है, वहीं यह कटौती 125 दिनों में पकड़ कर तैयार हो जाती है और इसमें ज्यादा निगरानी की भी जरूरत नहीं है। यही कारण है कि सगनूराम से प्रेरित होकर क्षेत्र के अन्य किसान भी लघुधान्य को जय के लिए प्रचार हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार के किसानों को दे रही सब्सिडी
छत्तीसगढ़ देश का एकलौता राज्य है जहां कोदो, कुटकी और रागी के समर्थन मूल्य पर जोर और इसके प्रारूप का काम भी किया जा रहा है। कोदो-कुट की 3000 क्विंटल प्रति क्विंटल की दर से और रागी की पहल 3378 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रशंसा पर परिमाण की जा रही है। ही साथ धान के बदले अन्य कटौती वाले किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अधीन बकाया राशि भी दी जा रही है। सरकार द्वारा धान के बदले खरीफ की अन्य साझेदारी के साथ-साथ प्रदिकी की परिणाम निर्धारण पर 10 हजार रुपये प्रति एकड़ के मान से सहायता राशि राज्य किया जा रहा है।
किसान अब मिलेट की खेती करने आ रहे हैं
पोषक तत्वों के कारण मिलेट अनाजों की लगातार डिमांड बढ़ रही है. बढ़ती हुई डिमांड को देखते हुए किसान भी इन फसलों की खेती करने में रुचि ले रहे हैं. रागी, छत्तसीगढ़ में रागी को मड़िया के नाम से भी जाना जाता है। छत्तीसगढ़ में शुरू हुए मिलेट मिशन के तहत किसानों को इन फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. किसानों को उन्नत बीज के साथ अन्य सहायता दी जा रही है. मंडी में रागी की कीमत भी काफी अच्छी मिल रही है और साथ ही इसकी खेती करना ज्यादा कठिन भी नहीं है. यानी रागी की खेती कर किसान कम मेहनत के ही अच्छी कमाई कर सकते हैं.
रागी के लाभ
रागी हाइवेल्यू क्रॉप, कैल्शियम, आयरन जैसे खनिज तत्वों से परिपूर्ण होता है। साथ ही फोलिक एसिड, एमीनोएसिड, एन्टी एजेंट, एंटी आक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व भी इसमें पाये जाते है। इसकी वजह से मोटापा, डायबिटिस, रक्तचाप जैसी बीमारियों के रोकथाम में उपयोगी है। वहीं कुपोषण मुक्त और गर्भवती माताओं के लिए भी फायदेमेंद है। साथ ही तनाव व अवसाद को दूर करने में भी रागी सहायक है। रागी में कैल्शियम की मात्रा सर्वाधिक पायी जाती है जिसका उपयोग करने पर हड्डियां मजबूत होती हैं। रागी बच्चों एवं बड़ों के लिये उत्तम आहार हो सकता है।

