DHAMTARI:- ज्ञान अमृत विद्यालय में 10 दिवसीय संस्कृत-सम्भाषण-शिविर का समापन - DNA

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शनिवार, 14 अक्टूबर 2023

DHAMTARI:- ज्ञान अमृत विद्यालय में 10 दिवसीय संस्कृत-सम्भाषण-शिविर का समापन

 

   संस्कृतभारती द्वारा ज्ञान अमृत विद्यालय में 10 दिवसीय तीसरे संस्कृत-सम्भाषण-शिविर का आयोजन किया गया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के.एल.उपाध्याय व्याख्याता   शिवसिंग वर्मा हायर सेकंडरी स्कूल, अध्यक्षता विनोद कुमार पाण्डेय प्राचार्य ज्ञान अमृत स्कूल एवं विशिष्ट अतिथि राम लखन गजेंद्र  व्यस्थापक शिशु मंदिर रुद्री एवं होमेश्वर प्रसाद चन्द्राकर संस्कृतभारती से उपस्थित थे। कार्यक्रम का प्रारंभ माँ शारदा एवं भारत माता के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्जवलित कर मंगलाचरण के साथ विधिवत् पूजा- अर्चना कर किया गया। इस अवसर पर मुरलीकृष्णा शास्त्री द्वारा संस्कृत गीत प्रस्तुत किया गया एवं छात्र- छात्राओं द्वारा गीत,श्लोक,नाटक,कथा वाचन,वार्तालाप,समूह नृत्य के साथ- साथ विभिन्न वस्तुओं के संस्कृत नामों के साथ वस्तुओं की  प्रदर्शनी लगाई गई जिसका अवलोकन उपस्थित अतिथियों एवं आगंतुक पालकों द्वारा किया गया तथा छात्रों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम व प्रदर्शनी की भूरी-भूरी प्रशंंसा की गई। इस अवसर  मुख्य वक्ता  एल.के.उपाध्याय  ने कहा कि संस्कृत से ही 14 सूत्र निकला है जो भगवान शंकर के डमरू से निकला है स्वरों की उत्पत्ति और व्यंजन की उत्पत्ति इन्हीं ध्वनियों से  हुई है पाणिनि ने उनको रूप दिया और भगवान पाणिनि के व्याकरण द्वारा सब संस्कृतनिष्ठ हो रहे हैं संस्कृतभाषा में सभी क्षमता है संस्कृत में सारे ग्रंथ हैं संस्कृत के दो रूप हैं लौकिक और वैदिक जहां संस्कृत का प्रयोग होता है वहां समृद्धि होती है संस्कृत स्वयं एक प्राणायाम है वेद मंत्र का प्रभाव वही समझेगा जो उनको पढ़ेगा।  कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि  राम लखन गजेंद्र ने बच्चों द्वारा  प्रस्तुत कार्यक्रम को बहुत सुंदर  मन को मोहने वाला बताया, इससे समाज एवं  माता-पिता को भी गौरवान्वित महसूस होने का अवसर प्राप्त हो रहा है।संस्कृतभारती के संयोजक होमेश्वर प्रसाद चन्द्राकर ने कहा संस्कृत भाषा को जन-जन तक पहुॅचाना हम सब का कर्तव्य है ताकि लोग संस्कृत को जाने और समझे जो पहले से लोकभाषा थी और है । 



कार्यक्रम के अध्यक्ष  विनोद पांडेय ने  कहा कि संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है हमारे सभी वैदिक ग्रंथ, व्याकरण एवं ज्योतिषशास्त्र संस्कृत भाषा में ही उपलब्ध है। संस्कृत  भारत का गौरव है, जो भारतीय सभ्यता, भारतीय संस्कृति और भारतीय धरोहर की रक्षा करने में पूर्णतः सहायक है। संस्कृत से सुसंस्कृत समाज का निर्माण होता है जैसे वैदिक संस्कृत में गर्भ से पंचतत्व विलय पर्यन्त सोलह संस्कार का विधान है संस्कार से शरीर और मन पवित्र होता है, पर्यावरण शुद्ध होता है। संस्कृत बोलने से शरीर मे ऊर्जा का संचार एवं रक्त प्रवाह बेहत्तर होता है।अतः पालक अपने बच्चों को अंग्रेजी व अन्य भाषा के साथ-साथ संस्कृत का ज्ञान अवश्य दिलायें। कार्यक्रम का संचालन एवम आभार प्रदर्शन कुशल राम साहू व्याख्याता  द्वारा किया गया और इस प्रशिक्षण शिविर में छात्र- छात्राओं को प्रशिक्षित करने में  अनुपा टंडन और मुरलीकृृष्णा शास्त्री का विशेष योगदान रहा ।कार्यक्रम में  शुभदा यादव, हेमशंकर पटवारी संस्कृतभारती के सदस्यगण,पालकगण, विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं छात्र-छात्रायें उपस्थित थे कार्यक्रम का संचालन एवम् आभार प्रदर्शन कुशल राम साहू व्याख्याता द्वारा किया गयाl

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