श्री गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर युवा साहिबजादों की शहादत को याद "वीर बाल दिवस" घोषित किया था। ऐसे में आज वीर बाल दिवस है, इस अवसर पर बच्चों को पेन कॉपी चॉकलेट बांटकर गुरु गोविंद सिंह जी के चार साहिबजादो की महान बलिदान को याद करते हुए युवा मोर्चा कुरूद ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म की रक्षा का जिम्मा अपने हाथ में लेकर गुरु गोविंद सिंह जी के चार साहिबजादो ने सरहिंद के नवाब वजीर खां के आगे अपना सर नहीं झुकाया। अपने आप को इस देश पर कुर्बान कर दिया। गुरु गोविंद सिंह जी के चार साहिब जादे जिसमें दो बड़े साहिबज़ादे बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह और दो छोटे साहिब जादे बाबा जोरावर सिंह व बाबा फतेह सिंह ने नवाब की ओर से दी गई सभी पीड़ा और तकलीफों को हंसकर सहेलियां लेकिन उसके आगे अपनी गर्दन नहीं झुकाई। साहिब जादा अजीत सिंह जुझार सिंह जोरावर सिंह और फतेह सिंह ने अपनी शहादत दे दी लेकिन धर्म पर आंच नहीं आने दे उन्होंने गुरुवाणी की पंक्ति 'सूरा सो पहचानिए, जो लरै दीन के हेत, पुरजा पुरजा कट मरै, कबहु ना छांड़े खेतइ को सच किया। इस तरह देश और धर्म की रक्षा में गुरु गोविंद सिंह महाराज का सारा परिवार शहीद कर गया। दशम गुरु गोविंद सिंह जी के चारों साहिबजादों की शहादत इतिहास का ऐसा सुनहरा पन्ना है, जिसका उदाहरण विरले ही मिलते हैं। धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोविंद सिंह जी ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। इस कारण उन्हें सरबंसदानी भी कहा गया।