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DHAMTARI-नंबर जिंदगी से बड़े नहीं हैं- प्रीति चांडक क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, जिला चिकित्सालय धमतरी.


तुम्हारे दोस्त ने 99% लाए है और एक तू है..... तुम पर हम ने इतना पैसा खर्च किया तुमने सब बर्बाद कर दिया, सोसाइटी में क्या मुंह दिखाएंगे .....जिन बच्चों के 10वीं 12वीं में कम अंक है वो इस तरह के तानो से खुद को प्रभावित ना होने दें क्योंकि  *marks is just a number* नंबर जिंदगी से बड़े नहीं है।

अभिभावक ध्यान रखें की परीक्षा का परिणाम उनके बच्चे के कैरियर का अंत नहीं है बल्कि एक शुरुआत है। उन्हें इस बात को समझाने की कोशिश करें कि परीक्षा का परिणाम ही सब कुछ नहीं है। बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पॉजिटिव वातावरण दे, उससे बेहतर व्यवहार करें, उनकी तुलना दूसरे बच्चों से ना करें चाहे उनका परिणाम सकारात्मक हो या नकारात्मक कैसा भी हो, उनका सपोर्ट करें ।इस समय अपने बच्चों के साथ रहे, उन्हें दोष देने के बजाय या अक्षम, आलसी के रूप में लेबल करने के बजाय स्वीकार करें कि बच्चे ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है



माता-पिता को अपने बच्चों के लिए  सकारात्मक रहने की जरूरत है ताकि उन्हें एहसास हो सके कि उनके आगे पूरा जीवन है उन्हें इसके लिए आगे योजना बनानी चाहिए। इस समय आपका बच्चा भी खुद को कम महसूस कर रहा होगा। इस समय आपके शब्दों और कार्यों का उनके आत्मसम्मान पर स्थाई प्रभाव पड़ सकता है और इससे अवसाद ,  चिंता भी हो सकती है। इसलिए आवश्यकता पड़ने पर मनोचिकित्सक , मनोवैज्ञानिक से परामर्श लेना चाहिए। अपने संबंधित जिला के जिला चिकित्सालय में संचालित स्पर्श क्लिनिक में संपर्क करें।

यदि आप धमतरी जिले के हैं तो जिला चिकित्सालय धमतरी के स्पर्श क्लिनिक ओपीडी नंबर 116 में संपर्क करें।