शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने को बहुत ही पवित्र माना गया है। हर साल इस पवित्र महीने का इंतजार सभी को रहता है। सावन की महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में जो भी व्यक्ति सोमवार का व्रत रखता है। भगवान शंकर उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक सावन माह की शुरुआत 14 जुलाई गुरुवार से होने जा रही है। वहीं 18 जुलाई 2022 को सावन का पहला सोमवार रहेगा। वहीं 12 अगस्त 2022 को सावन माह समाप्त हो जाएगा। और इसके बाद ही भाद्रपद माह की शुरुआत हो जाएगी। आइए जानते हैं सावन माह की पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त।

सावन सोमवार का महत्व:-
हिंदी कैलेंडर के पांचवे स्थान पर श्रावण मास आता है। इसमें वर्षा ऋतु का प्रारंभ होता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। जो व्यक्ति सावन के सोमवार को व्रत रखकर भगवान शिव की उपासना करता है। भगवान शिव उसकी हर इच्छा पूरी करते हैं। यही वजह है कि सावन के महीने में शिव भक्त ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने जाते हैं।
सावन सोमवार की तिथियां
14 जुलाई गुरुवार - श्रावण मास का पहला सोमवार
18 जुलाई सोमवार - सावन सोमवार व्रत
25 जुलाई सोमवार - सावन सोमवार व्रत
01 अगस्त सोमवार - सावन सोमवार व्रत
08 अगस्त सोमवार - सावन सोमवार व्रत
12 अगस्त शुक्रवार - श्रावण मास का अंतिम दिन
सावन मास शुभ मुहूर्त
सावन शिवरात्रि व्रत तिथि 26 जुलाई 2022 मंगलवार।
निशिता काल पूजा मुहूर्त 26 जुलाई मंगलवार शाम 06:46 से 27 जुलाई 2022 की रात 09:11 तक।
पूजा अवधि मात्र 43 मिनट तक
शिवरात्रि व्रत पारण मुहूर्त 27 जुलाई 2022 की सुबह 05:41 से दोपहर 03:52 तक।
सावन सोमवार पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ वस्त्र धारण करें।
अब अपने दाहिने हाथ में जल लेकर सावन सोमवार व्रत और पूजा का संकल्प लें।
सभी देवी-देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव का जलाभिषेक करें।
भगवान को अक्षत, सफेद फूल, सफेद चंदन, भांग, धतूरा, गाय का दूध, धूप पंचामृत, सुपारी और बेलपत्र आदि चढ़ाएं।
सभी सामग्री चढ़ाते हुए ओम नमः शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए चंदन का तिलक लगाएं।
इसके बाद उनके 108 नाम या ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें और भगवान शिव का ध्यान करें।
सावन सोमवार व्रत के दिन सोमवार व्रत कथा को अवश्य पढ़ें। और अंत में उनकी आरती करें।
प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी शक्कर का भोग लगाएं। उस प्रसाद को सब में बांटे और स्वयं खाएं।